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अतिवृष्टि और बाढ़ की स्थिति में सशक्त सूचना-तंत्र से बचेगी हर जान: CM का एक्शन प्लान | Flood Management System 2025

बरसात के मौसम में जब आसमान बादलों से भर जाता है और नदियाँ अपने उफान पर होती हैं, तब सबसे जरूरी हो जाता है समय पर सतर्कता और मजबूत सूचना-तंत्र। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसी सोच के साथ एक बार फिर प्रदेश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए बाढ़ और अतिवृष्टि से निपटने के लिए संपूर्ण तैयारियों की समीक्षा की है। उनका स्पष्ट संदेश है—जन-जन की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं होगी।

मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में आयोजित उच्च-स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रदेश में यदि कहीं भी अतिवर्षा या बाढ़ जैसी स्थिति बने, तो समय रहते पुख्ता सूचना-तंत्र सक्रिय हो जाए। नदियों के जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जाए और बाढ़ संभावित क्षेत्रों का पहले से मूल्यांकन कर राहत शिविरों की व्यवस्था पूर्ण कर ली जाए। भोजन, आवास, प्राथमिक चिकित्सा जैसी ज़रूरतें हर प्रभावित नागरिक तक बिना देर पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जाए।

डॉ. यादव ने यह भी कहा कि इन राहत कार्यों में समाज के विभिन्न वर्गों जैसे सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं को भी भागीदार बनाया जाए ताकि एकजुटता से विपदा का सामना किया जा सके। आपदा प्रबंधन में नागरिकों को भी शामिल किया जाए, मॉकड्रिल कराई जाए और बचाव की सामान्य जानकारी घर-घर तक पहुँचाई जाए।

राज्य सरकार इस समय बरसात के मौसम और आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह सजग है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि त्यौहारों के दौरान भारी बारिश के कारण कोई अव्यवस्था या दुर्घटना न हो, इसके लिए हर जिले में उचित सावधानियाँ बरती जाएं।

बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य में अब तक औसतन 61% वर्षा हो चुकी है, जिसमें टीकमगढ़, मंडला, छतरपुर, निवाड़ी और सीधी जैसे जिलों में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है। आने वाले दिनों में संभावित अधिक बारिश को देखते हुए एनडीआरएफ की टीमें भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और धार में पहले से ही तैनात कर दी गई हैं। साथ ही एसडीईआरएफ की टीमें, सेना से तालमेल और जरूरी उपकरण जैसे मोटर बोट, लाइफ जैकेट्स, फ्लड लाइट्स, प्राथमिक उपचार किट आदि भी जिलों को सौंपे जा चुके हैं।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव की ये सक्रियता दर्शाती है कि राज्य सरकार केवल राहत के बाद नहीं, बल्कि पहले से बचाव की ठोस योजना के साथ मैदान में है। उनका यह मानना है कि अगर समय पर सूचना दी जाए, संसाधन जुटाए जाएं और समाज की भागीदारी हो, तो कोई भी आपदा जनहानि नहीं कर सकती।

डिस्क्लेमर:

यह लेख उपलब्ध सरकारी जानकारी और सार्वजनिक बयानों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल जन-सचेतना बढ़ाना है और इसे किसी आधिकारिक आदेश या आपदा निर्देश का विकल्प नहीं माना जाए।

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