जब एक सच्चा खिलाड़ी अपने देश का नाम रोशन करता है, तो सबसे पहली उम्मीद यही होती है कि उसे उसके देश से ही सबसे ज्यादा प्यार और सम्मान मिलेगा। लेकिन जब वही खिलाड़ी विदेशी जमीन पर सम्मानित होता है और अपने देश की बेरुखी को याद करता है, तो एक टीस सी उठती है। कुछ ऐसा ही हाल हुआ भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर का, जब Old Trafford में उनके नाम पर स्टैंड बनाया गया और उन्होंने इसे गर्व के साथ-साथ दुख के रूप में भी महसूस किया।
87 साल के फारुख इंजीनियर भारतीय क्रिकेट के सुनहरे अध्याय का एक अहम नाम हैं। मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफर्ड में अब एक स्टैंड उनके नाम से जाना जाएगा – “Farokh Engineer Stand”। यह सम्मान न सिर्फ उनके शानदार क्रिकेट करियर का प्रतीक है, बल्कि लंकाशर क्रिकेट क्लब के लिए दिए गए उनके योगदान की भी एक ऐतिहासिक मुहर है।
इंजीनियर ने 1968 से 1976 तक लंकाशर के लिए 175 मुकाबले खेले, 5,942 रन बनाए, 429 कैच पकड़े और 35 स्टंपिंग कीं। उन्होंने क्लब को 15 साल के सूखे के बाद जिलेट कप जिताया और उनके इस सफर ने उन्हें मैनचेस्टर में एक क्रिकेट आइकन बना दिया। यही वजह रही कि क्लब ने उन्हें यह ऐतिहासिक सम्मान दिया।
लेकिन इस खुशी के मौके पर भी फारुख इंजीनियर के शब्दों में एक गहरी पीड़ा थी। उन्होंने कहा, “यह शर्म की बात है कि जहां मैंने अपने करियर का ज़्यादातर हिस्सा बिताया, वहीं मुझे कभी वह पहचान नहीं मिली जिसकी मुझे उम्मीद थी।” उन्होंने ये भी जोड़ा कि मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में उन्होंने बेहतरीन खेल दिखाया, लेकिन वहां आज भी उनके नाम की कोई निशानी नहीं है।
हालांकि, उन्होंने बीसीसीआई का 2024 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देने के लिए शुक्रिया अदा किया, लेकिन यह साफ था कि दिल में कहीं न कहीं वह दर्द आज भी ज़िंदा है – अपनों द्वारा भुला दिए जाने का।
इस स्टैंड का नामकरण वेस्टइंडीज के महान कप्तान सर क्लाइव लॉयड के साथ किया गया, जो खुद भी लंकाशर के लिए खेले थे। दोनों दिग्गज खिलाड़ियों की मौजूदगी में यह पल ऐतिहासिक बन गया। इंग्लैंड में यह सम्मान पाकर इंजीनियर खुश जरूर हैं, लेकिन उन्होंने भारत की चुप्पी को अपने शब्दों से तोड़ दिया।
आज जब कोई विदेशी देश भारत के एक महान खिलाड़ी को सम्मान देता है, तो सवाल उठता है – क्या हम अपने ही नायकों को भूलते जा रहे हैं?
डिस्क्लेमर:
यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार फारुख इंजीनियर के दिए गए बयानों पर आधारित हैं और इसका उद्देश्य केवल जानकारी व जन-जागरूकता है। कृपया इसे आधिकारिक दृष्टिकोण न मानें।