🔴 Breaking News: Madhya Pradesh Tourism को मिलेगा नया आयाम, जन्माष्टमी से शुरू होगा राज्य स्तरीय उत्सव | मध्यप्रदेश बना Tiger State in India का गौरव, बाघों और वन्यजीवों के संरक्षण में रचा नया इतिहास | IND vs ENG 5th Test Playing XI: क्या कुलदीप यादव का सपना होगा पूरा? शुभमन गिल लाएंगे तूफानी बदलाव | Umesh Yadav ने महाकाल से मांगा क्रिकेट करियर का वरदान, बोले- यहां बिना बुलावे कोई नहीं आता | जब Dhruv Jurel ने 50,000 की शर्ट पर किया तगड़ा ताना, Arshdeep Singh भी रह गए हैरान |
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Shubman Gill Playing 11 Decision पर कोच गंभीर की मोहर, क्या गिल सिर्फ नाम के कप्तान हैं?

क्रिकेट सिर्फ रन और विकेट का खेल नहीं, यह विश्वास, जिम्मेदारी और नेतृत्व का भी खेल है। जब टीम मैदान पर उतरती है, तो हर चयन, हर फैसला कप्तान की सोच और रणनीति को दर्शाता है। लेकिन जब उसी कप्तान के पास अंतिम एकादश (Playing 11) चुनने का अधिकार न हो, तो सवाल उठते हैं। और यही सवाल उठा दिए हैं भारतीय क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में से एक सुनील गावस्कर ने।

गावस्कर का मानना है कि Shubman Gill Playing 11 Decision को लेकर पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं। उन्होंने इशारों-इशारों में यह साफ कर दिया कि शायद कोच गौतम गंभीर की सोच और पसंद टीम चयन में ज़्यादा असर डाल रही है।

कुलदीप यादव की अनदेखी पर मचा घमासान

इस विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव को लगातार टेस्ट टीम से बाहर रखा गया। खास बात यह है कि 2018 में जो रूट को कुलदीप ने दो बार तीन गेंदों पर आउट किया था, लेकिन इस बार उन्हें एक भी टेस्ट में मौका नहीं दिया गया। और अब जब रूट ने शतक लगाकर रिकी पोंटिंग को पछाड़ दिया है, तो कुलदीप को बाहर बैठाना और भी सवालों के घेरे में आ गया है।

क्या कोच की सोच कप्तान पर भारी?

गावस्कर ने खुलकर कहा कि गिल शायद कुलदीप को खिलाना चाहते थे, लेकिन टीम में शार्दुल ठाकुर को जगह मिली – जो बल्ले से थोड़ी-बहुत मदद कर सकते हैं, लेकिन गेंद से प्रभाव नहीं डाल पाए। ऐसा कहा जा रहा है कि कोच गौतम गंभीर ऐसे ऑलराउंडरों पर जोर दे रहे हैं जो बल्ले से भी काम आ सकें, भले ही वो गेंदबाजी में फीके पड़ें।

See also  AB de Villiers का जलवा जारी, 39 गेंदों में ठोका तूफानी शतक – उम्र बस एक नंबर है!

कप्तान को होना चाहिए स्वतंत्र

गावस्कर की बातों से एक बहुत बड़ा संदेश निकलकर आता है – कप्तान को पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “जब मैं कप्तान था, तब कोच का कोई दखल नहीं होता था। चयन मेरी ज़िम्मेदारी थी और मेरी टीम पर मेरा ही अंतिम फैसला होता था।” आज के दौर में ड्रेसिंग रूम की राजनीति और मीडिया की चमक के बीच शायद वह कप्तानी का अधिकार कहीं खोता जा रहा है।

आंकड़ों ने भी खोली सच्चाई

शार्दुल और रेड्डी दोनों को खिलाया गया, लेकिन उनका प्रदर्शन ना गेंद से खास रहा और ना बल्ले से। शार्दुल ने तीन पारियों में केवल दो विकेट लिए और बल्ले से भी कुछ खास योगदान नहीं दिया। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है – क्या एक प्रभावी स्पिनर की जगह सिर्फ “ऑलराउंड” टैग के नाम पर किसी को खिलाना सही है?

निष्कर्ष

Shubman Gill Playing 11 Decision अब केवल एक चयन प्रक्रिया नहीं, बल्कि नेतृत्व, स्वतंत्रता और रणनीति की गंभीर बहस बन चुकी है। गावस्कर जैसे अनुभवी खिलाड़ी की टिप्पणी यह दिखाती है कि भारतीय क्रिकेट के भीतर भी मतभेद और टकराव हैं। सवाल यह नहीं कि टीम कौन चुनता है, सवाल यह है कि कप्तान अगर कप्तानी नहीं कर पाए, तो फिर मैदान पर नेतृत्व किसका?

Disclaimer

यह लेख सार्वजनिक मीडिया रिपोर्टों और विश्लेषणों पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार संबंधित विशेषज्ञों और पूर्व खिलाड़ियों के बयानों पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है, किसी भी व्यक्ति या संस्था की छवि को प्रभावित करना नहीं।

Leave a comment