Shubman Gill Captaincy: क्रिकेट के मैदान पर हर फैसला मैच की दिशा तय करता है। जब एक कप्तान अपनी रणनीतियों में गलती करता है, तो उसका असर पूरी टीम पर साफ दिखाई देता है। मैनचेस्टर टेस्ट में कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जब भारतीय कप्तान शुभमन गिल (Shubman Gill Captaincy) ने ऐसा फैसला लिया जिसने सबको हैरान कर दिया। वॉशिंगटन सुंदर जैसे काबिल ऑलराउंडर को 68 ओवर तक गेंदबाज़ी का मौका ही नहीं दिया गया — और यही फैसला अब सवालों के घेरे में है।
इस मैच में इंग्लैंड की बल्लेबाज़ी पूरी तरह हावी रही। जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और डेब्यूटेंट अंशुल कंबोज जैसे भारतीय तेज़ गेंदबाज़ एक भी विकेट नहीं निकाल सके। बल्लेबाज़ों ने भारतीय अटैक का जमकर मज़ाक उड़ाया, लेकिन कप्तान गिल की रणनीति में कोई बदलाव नहीं दिखा। इस बीच वॉशिंगटन सुंदर डगआउट में इंतज़ार करते रहे कि शायद अब उन्हें मौका मिलेगा। मगर 68 ओवर तक गेंद थमाई ही नहीं गई।
शुभमन गिल की यह हिचकिचाहट समझ से परे थी। लॉर्ड्स टेस्ट में सुंदर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 22 रन देकर 4 विकेट लिए थे। बावजूद इसके मैनचेस्टर में उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। इस फैसले की आलोचना सिर्फ फैन्स ने नहीं, बल्कि कमेंट्री बॉक्स से भी की गई।
कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने इस फैसले पर सवाल खड़े किए और यहां तक कह दिया कि इसकी जिम्मेदारी सिर्फ गिल की नहीं, बल्कि कोच गौतम गंभीर की भी है। उन्होंने कहा कि गिल अभी अपने करियर के शुरुआती दौर में हैं, उनसे गलतियां हो सकती हैं। लेकिन गंभीर जैसे अनुभवी खिलाड़ी को ऐसी गलतियों से टीम को बचाना चाहिए था।
मांजरेकर ने लाइव कमेंट्री में यह तक कह दिया कि “आपने एक ऐसे खिलाड़ी को 68 ओवर तक बैठाकर रखा, जिसने पिछले ही मैच में 4 विकेट निकाले थे! अगर भरोसे की जरूरत थी तो वो परफॉर्मेंस आपके सामने था।”
लेकिन क्रिकेट हमेशा मौके का खेल होता है। तीसरे दिन लंच से कुछ मिनट पहले आखिरकार सुंदर को गेंद थमाई गई — और उन्होंने कप्तान की गलती तुरंत उजागर कर दी। उन्होंने तीन ओवरों में दो महत्वपूर्ण विकेट चटका दिए। पहले ओली पोप और फिर हैरी ब्रुक को आउट करके सुंदर ने बता दिया कि उन्हें इतने लंबे समय तक नजरअंदाज करना एक बड़ी रणनीतिक भूल थी।
गिल की कप्तानी को लेकर अब बहस और तेज़ हो गई है। क्या ये सिर्फ अनुभव की कमी थी या कोचिंग टीम का प्लान गलत था? एक बात तो तय है — इस फैसले से भारत को नुकसान हुआ और सुंदर ने अपनी गेंदबाज़ी से ये दिखा दिया कि उनके पास मैच पलटने की ताकत है।
क्रिकेट के इस दिलचस्प मोड़ ने एक बार फिर साबित किया कि टैलेंट को नज़रअंदाज़ करना कभी-कभी भारी पड़ जाता है।
Disclaimer:
यह लेख पूरी तरह से मीडिया रिपोर्ट्स और मैच में हुई वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार किसी खिलाड़ी या कोच की व्यक्तिगत छवि को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं हैं, बल्कि खेल से जुड़ी आलोचनात्मक चर्चा का हिस्सा हैं।