Nasha Se Door Campaign: हमारे समाज में जब कोई अभियान सिर्फ नियमों से नहीं, बल्कि दिल से शुरू होता है, तो वो जनआंदोलन बन जाता है। मध्यप्रदेश में ऐसा ही एक आंदोलन बन चुका है—“नशे से दूरी है जरूरी” अभियान, जिसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नशामुक्त समाज की दिशा में शुरू किया गया है। यह कोई औपचारिक पहल नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सामूहिक संकल्प है—युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने का।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय वन प्रबंधन संस्थान में इस जन-जागरूकता अभियान के अंतर्गत संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर कर नशे से मुक्त समाज के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि यह अभियान पुलिस और समाज की सहभागिता का वह सशक्त प्रयास है, जो केवल अपराध रोकने तक सीमित नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को सही दिशा में आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी निभा रहा है।
यह वृहद अभियान 15 जुलाई से 30 जुलाई 2025 तक पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। इसकी कमान पुलिस मुख्यालय के नारकोटिक्स विंग के हाथ में है, जो इसे जन-जन तक पहुंचा रही है। इस अभियान का मकसद केवल नशे के खिलाफ लड़ना नहीं, बल्कि उस सोच को भी बदलना है, जिसमें नशा फैशन, तनाव या मज़बूरी बनकर घुस जाता है।
अभियान में स्वयंसेवी संस्थाएं, नगर और ग्राम रक्षा समितियां, कम्युनिटी पुलिसिंग विंग, शिक्षक, छात्र, और सामाजिक संगठन भी भागीदार बन रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों के ज़रिए छात्रों को बताया जा रहा है कि नशा सिर्फ शरीर ही नहीं, आत्मा, सोच और भविष्य को भी खोखला कर देता है।
इस अभियान की सबसे खूबसूरत बात यह है कि यह सिर्फ “रोकने” की बात नहीं करता, बल्कि “समझाने, सहारा देने और सही रास्ता दिखाने” की बात करता है। नशे के शिकार हो चुके युवाओं को पुनर्वास और परामर्श की सुविधा दी जा रही है ताकि वे दोबारा सम्मानजनक जीवन जी सकें।
इस जनआंदोलन का मूलमंत्र है – “जागरूकता, संवाद, सहयोग और सुरक्षा”। पुलिस अब वर्दी में डर की प्रतीक नहीं, बल्कि संवाद की प्रतीक बनकर समाज में यह संदेश फैला रही है कि सशक्त समाज वही है, जो खुद को नशा और अपराध से दूर रखे। यही वजह है कि अब गली-मोहल्लों, बाजारों, सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थलों पर इस अभियान की गूंज सुनाई दे रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में यह अभियान यह विश्वास दिलाता है कि अगर हम सब मिलकर प्रयास करें, तो हर घर, हर गली और हर स्कूल नशामुक्त बन सकता है। क्योंकि एक नशा छोड़ने वाला युवा सिर्फ खुद को ही नहीं बचाता, वह अपने परिवार, समाज और देश का भविष्य भी संवारता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख आधिकारिक सूचनाओं और समाचार स्रोतों पर आधारित है। इसमें प्रयुक्त भावनात्मक भाषा का उद्देश्य पाठकों को विषय से जोड़ना और नशामुक्ति जैसे सामाजिक मुद्दे पर जनजागरूकता को बढ़ावा देना है। अधिक जानकारी और सहायता के लिए संबंधित संस्थानों और विशेषज्ञों से संपर्क करें।