Environment Awareness in Madhya Pradesh मिट्टी की खुशबू, आंगन में लहराती हरी पत्तियां, और माँ के हाथों रोपा गया पौधा… ये सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की धरती पर एक नई शुरुआत का नाम है — नवांकुर सखी हरियाली यात्रा। जब महिला शक्ति पर्यावरण की रक्षा का संकल्प ले, तो परिवर्तन निश्चित है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में इसी सोच को साकार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुख्यमंत्री निवास में हरियाली यात्रा के पोस्टर का विमोचन करते हुए स्पष्ट कहा कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि जनमानस को प्रकृति से जोड़ने की पुकार है। उन्होंने कहा कि यह अभियान घर के आंगन से लेकर पूरे प्रदेश तक पर्यावरण की रक्षा के लिए एक सामूहिक चेतना का स्वरूप बनेगा। हरियाली यात्रा लोगों को पेड़ों से, मिट्टी से और सबसे बढ़कर जीवन की असली सुंदरता से जोड़ेगी।
इस बार का अभियान इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें महिलाओं की भूमिका सबसे अहम है। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा शुरू की गई इस यात्रा में प्रदेश के 313 विकासखंडों में 1 लाख 56 हजार 500 महिलाएं “नवांकुर सखी” के रूप में पंजीकृत की गई हैं। ये सखियां न केवल पौधे लगाएंगी बल्कि उन्हें अंकुरित करने, पोषित करने और बड़े होने तक की जिम्मेदारी भी निभाएंगी। यह प्रकृति से जुड़ने का ऐसा आत्मीय प्रयास है, जो घर-घर हरियाली लाने वाला है।
हर एक नवांकुर सखी अपने घर की बगिया में 11 बीज रोपित करके जीवन का संदेश फैलाएगी। यह हरियाली यात्रा सिर्फ पौधे लगाने का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक पेड़ माँ के नाम जैसे गहरे भावनात्मक अभियान से भी जुड़ी हुई है, जहाँ हर पौधा किसी याद, भावना या माँ के नाम पर रोपा जाएगा। जब पेड़ से भावनाएं जुड़ती हैं, तो उनका संरक्षण खुद-ब-खुद होता है।
यह यात्रा 24 जुलाई से प्रारंभ होकर 5 दिनों तक चलेगी और यह हर वर्ष एक हरित पर्व के रूप में मनाया जाएगा। इस पूरे प्रयास से प्रदेश में कुल 17 लाख 21 हजार 500 पौधे विकसित किए जाएंगे, जिन्हें भविष्य में सरकारी या निजी भूमि पर रोपा जाएगा।
पोस्टर विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ परिषद के उपाध्यक्ष श्री मोहन नागर और कार्यपालक निदेशक डॉ. बकुल लाड़ सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। इस मौके पर एक प्रेरणादायक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया, जो इस प्रयास के महत्व को और गहराई से दर्शाती है।
यह पहल सिर्फ वर्तमान के लिए नहीं, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा संदेश है। जब महिलाएं पौधों की माँ बनेंगी, तब पर्यावरण को भी माँ जैसी ममता मिलेगी।
डिस्क्लेमर:
यह लेख प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तैयार किया गया है जिसका उद्देश्य पाठकों को जन-जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण और हरियाली यात्रा जैसे सामाजिक अभियानों के प्रति संवेदनशील बनाना है। इसमें किसी भी राजनीतिक, सामाजिक या संगठनात्मक प्रचार की मंशा नहीं है।